छिंदवाड़ा जिले के सांसद ने खुलवाया पांच भूमिगत खदान और बैतूल को नहीं मिल पाई एक भी खदान की सौगात
5 वर्ष में सांसद दुर्गादास उइके जिले में नहीं ला पाए एक भी रोजगार
सारनी।बैतूल हरदा हरशुद क्षेत्र में सन 1996 से लेकर लगातार भारतीय जनता पार्टी के सांसद विजय होते चले आ रहे हैं लेकिन यह जिले का दुर्भाग्य है कि रोजगार के संसाधन उपलब्ध कराने में सांसद पूर्ण रूप से विफल साबित हुए। 5 वर्ष की कार्यकाल में सांसद दुर्गादास उइके माध्यम से कोयलांचल क्षेत्र पाथाखेड़ा में एक भी भूमिगत खदान की सौगात दिल नहीं पाए हैं।जबकि पड़ोसी जिला छिंदवाड़ा में पांच भूमिगत खदानें खुल गई है ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है की डबल इंजन की सरकार होने के बाद भी सांसद दुर्गादास उइके कोयलांचल क्षेत्र पाथाखेड़ा में भूमिगत खदान की सौगात दिलवाने में विफल साबित हुए हैं।इससे भी आश्चर्य की बात तो यह है कि शिक्षा के क्षेत्र में जब वह कार्यरत थे तो उनका कार्यकाल लगभग 18 वर्ष का शोभपुर कॉलोनी में बीता है उसके बाद भी उनके माध्यम से इस क्षेत्र में भूमिगत खदान खुलवाने में उन्होंने कोई रुचि नहीं ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है की स्थिति क्या होगी इस बार भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता पदाधिकारी नारा लगा रहे हैं कि अबकी बार 4 लाख पर संपूर्ण जिले के मतदाता सांसद दुर्गादास उइके से पूछना चाहते हैं कि उनके 5 साल के कार्यकाल में जिले में रोजगार के संसाधन क्या उपलब्ध कराया गया है कि इस बार उन्हें चार लाख पर से विजई बनाया जा सके। कई भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारी ही अब कहने लगे हैं कि नरेंद्र मोदी जरूरी है दुर्गादास उइके मजबूरी है।सन 1989 से वेस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड पाथाखेड़ा में तवा परियोजना के अंतर्गत तवा वन,तवा टू खदान के अलावा तवा थ्री और गांधीग्राम की भूमिगत खदानी खोली जानी थी लेकिन संसद के कार्यकाल में एक सड़क का निर्माण भी नहीं कर पाए ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी के संसद के माध्यम से 28 वर्षों से बैतूल हरदा क्षेत्र के मतदाताओं को केवल ठगने का कार्य किया गया।
सन 1996 लगातार भाजपा हो रही है विजय पर विकास नहीं
लोकसभा चुनाव की तिथि क्लियर हो गई है 26 अप्रैल को मतदान होंगे और भारतीय जनता पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव जीतने में जुटी हुई है बैतूल हरदा लोकसभा क्षेत्र में सन 1996 से लगातार भारतीय जनता पार्टी के सांसद विजय होते चले आ रहे हैं। लेकिन रोजगार के संसाधन उपलब्ध करवाने में सांसद पूर्ण रूप से विफल साबित हो रहे हैं यदि जिले का इतिहास देखा जाए 1996,1998,1999, 2004,2007,2009, 2014 और 2019 में भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय स्तर के सांसद रहे लेकिन रोजगार और यहां तक की की घोड़ाडोगरी बैतूल और मुलताई में भी रेलवे का रुकवाने में संसद को सफलता नहीं मिल पाई है उसके बाद भी भारतीय जनता पार्टी के लोग ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में जा जाकर इस बार 4 लाख पर का नारा देकर क्षेत्र के मतदाताओं को गुमराह करने में जुटे हुए जबकि सांसद आदिवासी समाज से हैं और यदि आदिवासियों पर हुए अत्याचारों के खिलाफ में भी खुलकर नहीं बोल पाए ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनके दूसरे कार्यकाल भी किस तरह की स्थिति संपूर्ण लोकसभा में होगी।