निशा बांगरे को हल्के में ना ले राजनीतिक विशेषज्ञ एवं प्रतिद्वंदी
कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का खुला समर्थन मिला निशा बांगरे को
सारनी।आमला विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की तरफ से कौन प्रत्याशी होगा इसको लेकर अभी भी पिक्चर साफ नहीं हुए हैं। हालांकि कांग्रेस के माध्यम से बैतूल जिले की चार विधानसभा पर प्रत्याशी घोषित होने की संभावना तय हो गई है। जिसमें पुराने कांग्रेस के प्रत्याशियों को रिपीट होना लगभग तया आना जा रहा है।आमला विधानसभा छोड़कर चार सीट पर प्रत्याशी घोषित करने की तैयारी में जुटी है कांग्रेस लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञ और प्रतिद्वंद्वी डिप्टी कलेक्टर निशा बागरे को हल्के में आकर रहे है। पिछले एक वर्षों से आमला विधानसभा क्षेत्र में लगातार सक्रिय है और उनके माध्यम से आम जनमानस में अपनी घुसपैठ बनाने में सफल हुई है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी के विधायक डॉक्टर योगेश पंडाग्रे के माध्यम से भी क्षेत्र में विकास कार्य में किसी भी तरह की कौई कोताही नहीं बरती गई है। लेकिन चाय से ज्यादा केतली गर्म होने की कहावत आमला विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान समय में ज्यादा प्रचलित हो रही है। जो भाजपा को नुकसान का कारण बन सकता है किसी समय विधायक के करीबी कहे जाने वाली खुद विधायक के खिलाफ वर्तमान परिवेश में भीतरघात करने को तैयार हैं और विधायक उन्हें पहचान नहीं पा रहे हैं या फिर पहचान की जहमत नहीं उठा रहे है।
कांग्रेस के कार्यकर्ता पदाधिकारी के लिए करो या मरो की रणनीति
वर्ष 2008 में आमला विधानसभा क्षेत्र का परिसीमन हुआ और इस परिसीमन में सारनी नगर पालिका और 12 पंचायत को आमला विधानसभा क्षेत्र में जोड़ दिया गया है। 2008 के बाद से कांग्रेस यहां पर विजयश्री को छू नहीं पाई यदि कांग्रेस पार्टी के माध्यम से आमला में निशा बंगरे को यदि प्रत्याशी घोषित किया जाता है तो कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को जी जान से मेहनत करनी पड़ेगी।क्योंकि मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का सानिध्य निशा बंगरे को प्राप्त हो चुका है यदि ऐसी स्थिति में निशा बंगरे आमला विधानसभा से कांग्रेस की सीट पर टिकट पर चुनाव लड़ी और उसे विजयश्री हासिल नहीं हुई तो कांग्रेस के कार्यकर्ता और पदाधिकारी जो राजनीतिक लाभ कांग्रेस के नाम का ले रहे थे ऐसे लोगों की नैया यह शीर्षक नेता डूबने से बाज नहीं आएंगे इसलिए आमला विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के कार्यकर्ता और पदाधिकारी के लिए कारगिल युद्ध की तरह अपनी पहाड़ी को बचाना मुख्य उद्देश्य होगा कई राजनीतिक विशेषज्ञ डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे को हल्के में आक रहे हैं जबकि ग्रामीण क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी डॉक्टर योगेश पंडाग्रे की अपेक्षा निशा बंगरे की पापुलैरिटी सोशल मीडिया और ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा है और जन चर्चा का विषय आदिवासी समाज भाजपा प्रत्याशी के कार्यकाल के समय में रेता के ठेके के कार्य को भुला नहीं पा रही है जो इस चुनाव में उन्हें कष्ट प्रदान करने से बाज नहीं आएगा।