विद्युत नगरी सारनी पर दर्शाया गया दुष्यंत कुमार त्यागी की कविता पर गजल

विद्युत नगरी सारनी पर दर्शाया गया दुष्यंत कुमार त्यागी की कविता पर गजल

खंडहर बचे हुए हैं, इमारत नहीं रही अच्छा हुआ कि सर पर कोई छत नहीं रही

सारनी।देश के जाने माने क्रांतिकारी कवि दुष्यंत कुमार त्यागी के माध्यम से लगभग 49 वर्ष पूर्व(1974) लिखी गई कविता खंडहर बचे हुए हैं,इमारत नहीं रही अच्छा हुआ कि सर पर कोई छत नहीं रही पर मध्यप्रदेश पावर जेनरेटिंग कंपनी से सेवानिवृत्त हुए रमेश कुमार भोयर के माध्यम से 5 मिनट 21 सेकंड की गजल तैयार की गई है।जिसकी क्षेत्र में भूरी भूरी प्रशंसा हो रही है।यह कविता गजल को म्यूजिक देने का काम मुलताई के पुष्कर देशमुख के माध्यम से किया गया है और इससे अपने सुरीली आवाज में शब्द देने का काम रमेश भोयर के माध्यम से किया गया है।वर्तमान समय में ताप विद्युत गृह सारनी से सेवानिवृत्त होने के बाद कंपनी के माध्यम से दिए गए आवास खंडहर हो जा रहे हैं।क्षेत्र के स्क्रैप चोरों के माध्यम से मध्यप्रदेश पावर जेनरेटिंग कंपनी के द्वारा बनाए गए आवासों को खंडहर में तब्दील कर दिया जा रहा है।ऐसे में मध्यप्रदेश पावर जेनरेटिंग कंपनी से सेवानिवृत्त हुए रमेश भोयर के माध्यम से क्रांतिकारी कवि दुष्यंत कुमार त्यागी की कविता कोश से ली गई कविता को गजल का रूप देने का कार्य किया है और उन के माध्यम से गाए गए गीत में ताप विद्युत गृह सारनी के 13 वार्डों में खंडहर हो चुके आवासों पर यह गजल दर्शाया गया है।

हमको पता नहीं था हमें अब पता चला इस मुल्क में हमारी हुकूमत नहीं रही”

इस ग़ज़ल को तैयार करने में रमेश भोयर की पूरी टीम के माध्यम से हर एक छोटी सी छोटी और बेहतर चीज को अपने 5 मिनट 21 सेकंड की वीडियो में स्थान देने का काम किया है।ड्रोन कैमरे के माध्यम से विद्युत नगरी सारनी के 13 वार्ड में किसी समय में कर्मचारी अधिकारियों से भरा शहर हुआ करता था जो अब खंडहर में तब्दील हो गया है,यह गजल सारनी शहर पर एकदम सटीक और सत्य बैठ रही है।हालांकि सत्ता पक्ष के नेताओं के मुंह पर रमेश भोयर के माध्यम से दुष्यंत कुमार त्यागी की कविता कोश से ली गई यह कविता जबरदस्त तमाचा है।49 वर्ष पूर्व लिखी गई यह कविता ताप विद्युत गृह सारनी पर एकदम सटीक बैठती है और रमेश कुमार भोयर के माध्यम से 2 अगस्त को इसका लोकार्पण अपने यूट्यूब चैनल पर किया गया है।स्थानीय स्तर के वह सभी लोग जो पिछले 20 वर्षों से ताप विद्युत गृह सारनी की दिशा और दशा बदलने के लिए अपने अपने स्तर पर संघर्ष कर रहे हैं उन लोगों के बीच में खंडहर बचे हुए हैं इमारत नहीं रही गजल जमकर सुर्खियां बटोर रही है।

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