अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है पाथाखेड़ा क्षेत्र का मोक्षधाम

 अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है पाथाखेड़ा क्षेत्र का मोक्षधाम

20 वर्ष से नगर पालिका परिषद सारनी के नेता छलते आ रहे हैं मोक्षधाम को

सारनी। कोयलांचल क्षेत्र पाथाखेड़ा में मोक्ष धाम की सुविधा को लेकर कई बार नगर पालिका परिषद सारनी के अध्यक्ष एवं नगर पालिका का शासकीय महकमें के माध्यम से वन विभाग से भूमि स्थानांतरण कराकर डीपीआर तैयार करवाने की सुर्खियां बटोर चुके हैं,लेकिन पिछले 18 वर्ष से भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के नपाध्यक्ष के पद पर बैठने के बाद भी कोयलांचल क्षेत्र पाथाखेड़ा में मोक्ष धाम की बेहतर सुविधा नहीं मिल पाई है। स्थिति कुछ इस तरह की है की बारिश के मौसम में यदि शव यात्रा में लोग जाते हैं तो उन्हें बैठने एवं खड़े रहने के लिए छत की व्यवस्था नहीं है ऐसे में शव यात्रा में जाने वाले लोगों को खुले आसमान और पेड़ के नीचे खड़ा होना पड़ता है जिससे आकाशीय बिजली गिरने भय बना रहता है,ऐसी स्थिति में क्षेत्र के लोगों के माध्यम से कई बार कोयलांचल क्षेत्र पाथाखेड़ा में मोक्षधाम निर्माण करने की मांग उठ चुकी है लेकिन जनप्रतिनिधियों ने इसे अनसुना कर दिया है क्षेत्रफल और जनसंख्या के हिसाब से कोयलांचल क्षेत्र पाथाखेड़ा नगर पालिका परिषद सारनी का सबसे बड़ा क्षेत्र है यदि क्षेत्र और जनसंख्या और वार्डों की बात किया जाए तो विद्युत नगरी सारनी में 13 वार्ड है कोयलांचल क्षेत्र पाथाखेड़ा में 16 वार्ड है और शोभापुर,बगडोना को मिलाकर सात वार्ड शोभापुर और पाथाखेड़ा को जोड़ लिया जाए तो यहां 23 वार्ड है उसके बाद भी मूलभूत सुविधा जैसी कोई चीज कोयलांचल क्षेत्रवासियों को नहीं मिल पा रही है या दुखद में पहलू है।

नपा अध्यक्ष पर अध्यक्ष बदले पर मोक्षधाम की व्यवस्था नहीं बदली

नगर पालिका परिषद सारनी के अध्यक्ष पद चुनाव के लिए जो भी कांग्रेस एवं भारतीय जनता पार्टी का प्रत्याशी खड़ा होता है वह अपने घोषणा पत्र में कोयलांचल क्षेत्र पाथाखेड़ा के मोक्षधाम के मरम्मत और उसके निर्माण की बात करता है लेकिन नगर पालिका चुनाव जीतने के बाद मोक्ष धाम की दुर्दशा को दुरुस्त करने एवं सुधारने पर उनकी रुचि नहीं रहती चाहे हम बात करें नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष मनोज डहेरिया की या हम बात करें पूर्व नपाध्यक्ष मीनाक्षी मोहबे की या आशा भारती की फिर वर्तमान समय में किशोर बरदे को मिलाकर लगभग 18 वर्ष का लंबा समय बीत चुका है लेकिन नगर पालिका परिषद सारनी के जितने भी अध्यक्ष निर्वाचित हुए हुए वन विभाग से एक हेक्टेयर भूमि स्थानांतरण नहीं करवा पाए जबकि संपूर्ण जिले में विधायक सांसद और प्रदेश में सरकार भाजपा की होने के बाद मोक्ष धाम के लिए भूमि वन विभाग से नगर पालिका अपने नाम स्थानांतरित नहीं कर पाई जबकि नगर पालिका के माध्यम से मोक्ष धाम की जिनोद्धार और नवीनीकरण के नाम पर 50 लाख की भारी भरकम राशि रखी गई थी,उसके बाद भी मोक्ष धाम की व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो पा रही है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जनप्रतिनिधियों की इच्छा शक्ति बेहतर नहीं है यही वजह है कि पाथाखेड़ा का मोक्षधाम मूल भूत सुविधा के लिए क्षेत्र वासियों को तरसना पड़ रहा है। दूसरे क्षेत्र के मोक्ष धाम पर शव यात्रा में जाने वाले लोगों के लिए बैठने स्नान करने की उत्तम व्यवस्था की गई है जबकि पाथाखेड़ा के मोक्ष धाम खुले में शव दहन करने का कार्य किया जाता है और खुले आसमान या फिर पेड़ों के नीचे बैठकर शव यात्रा मे जाने वाले व्यक्ति को छुपाना पड़ता है। मोक्ष धाम पर साफ-सफाई का अभाव रहता है। चारों तरफ गंदगी का आलम दिखाई दे जाएगा अब इस मोक्ष धाम पाथाखेड़ा की दुर्दशा सुधरती है या नहीं यह तो नगर पालिका परिषद सारनी के अध्यक्ष की कार्य प्रणाली पर निर्भर करता है।
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