




नारायण नारायण करते हुए हुए भाजपा के
नारायण खातरकर ने थामा भाजपा का हाथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए लोगों में बेचैनी
सन 1977 से लेकर 2023 तक मराठी महार समाज के लोगों का रहा विधानसभा में वर्चस्व
।। प्रमोद गुप्ता ।।
सारनी। बुधवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव का महावीर स्वामी वार्ड (बगडोना)स्थित हवाई पट्टी पर कार्यक्रम आयोजित हुआ इस कार्यक्रम में कांग्रेस को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थामने का काम मराठी मेहरा (महार) के नारायण खातरकर ने किया है। भारतीय जनता पार्टी के आमला विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉ योगेश पंडाग्रे, भाजपा के जिला अध्यक्ष सुधाकर पवार सहित बड़ी संख्या में भाजपा के कार्यकर्ता पदाधिकारी की उपस्थिति में भाजपा की सदस्य लेने का काम किया है। नारायण खातरकर के भाजपा में आ जाने से पार्टी को लाभ होगा क्योंकि आमला विधानसभा क्षेत्र में मराठी मेहरा (महार) समाज के 65 से 75 हजार से अधिक मतदाता निवासरत है। मराठी महार समाज में नारायण खातरकर का अच्छा वर्चस्व है और इसका लाभ निश्चित तौर से भाजपा को नगर परिषद,नगर पंचायत, विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मिलेगा।
कांग्रेस से भाजपा में आए पद अधिकारियों के बीच में नारायण के आने से बेचेनी
आमला विधानसभा का इतिहास देखा जाए तो सन 1977 में आमला विधानसभा अस्तित्व में आया और 1977 से लेकर वर्तमान समय तक अभी तक 10 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं और इस 10 बार के विधानसभा चुनाव में 6 बार भारतीय जनता पार्टी और चार बार कांग्रेस के प्रत्याशी को विजय मिली है जबकि लाड़सी मेहरा (हिंदी भाषी) की सुनीता बेले कांग्रेस के सिंबल से 300 वोटो से विजाय एक बार विजय हुई थी,जबकि 1977 से लेकर वर्तमान समय तक इस विधानसभा में मराठी मेहरा (महार) समाज के प्रत्याशी का दबदबा बना हुआ है। ऐसे में नारायण खातरकर मराठी महार समाज से ताल्लुक रखते हैं।कई लोग कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में विधानसभा की टिकट का सपना लेकर आए पदाधिकारी कार्यकर्ताओं के अरमानों पर नारायण खातरकर के आ जाने से पानी फिरता दिखाई दे रहा है। इसी वजह से कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन सामने वाले कार्यकर्ता और पदाधिकारी के बीच में बेचैनी और मायूसी का माहौल बना हुआ है और इन्हीं लोगों के माध्यम से एक विधायक प्रतिनिधि से सोशल मीडिया प्रिंट मीडिया में नारायण खातरकर को ना लिए जाने को लेकर बवंडर और बखेड़ा खड़ा करने का प्रयास किया गया लेकिन प्रदेश के मुखिया के समक्ष नारायण खातरकर का भाजपा में आ जाना कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए उन पदाधिकारी के मुंह पर जबरदस्त तमाचा मारने जैसा दिखाई दे रहा है। क्योंकि अब उन प्रत्याशी नेता के सामने पहले कोई विकल्प नहीं था लेकिन खातरकर के आ जाने से मराठी मेहरा (महार) समाज का बड़ा विकल्प दिखाई देने लगा है।