टीएस सिंह देव के इस्तीफे के बाद कांग्रेस-भाजपा वेट एंड वॉच की स्थिति में

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छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार में एक बार फिर उठापटक का दौर शुरू हो गया है। प्रदेश की भूपेश बघेल की सरकार में कद्दावर मंत्री टीएस सिंह देव ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री के पद से इस्तीफे दे दिया है। हालांकि देव के इस इस्तीफे के बाद राज्य सियासत में शांति नजर आ रही है। एक तरफ जहां कांग्रेस और मुख्यमंत्री टीएस सिंह देव से चर्चा करने का आश्वासन दे रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ भाजपा फिल्हाल वेट एंड वॉच की स्थिति में है। हालांकि इस बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि मैंने उनसे (सिंहदेव) बात नहीं की है। मैंने उन्हें बीती रात फोन करने की कोशिश की थी, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया।

प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार में 17 दिसंबर 2018 को मंत्री पद का कार्यभार संभालने वाले टीएस सिंहदेव के पास पंचायत और ग्रामीण विकास के साथ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, बीस सूत्री कार्यान्वयन और वाणिज्य कर (जीएसटी) की भी जिम्मेदारी है। लेकिन सिंह देव ने इनमें से शनिवार शाम को अचानक पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। अपने चार पन्ने के इस्तीफे में सिंहदेव ने उन्हें सरकार में दरकिनार किए जाने पर नाराजगी जताई थी। उन्होंने अपने इस्तीफे में इस बात के संकेत दिए हैं कि सरकार में उन्हें दरकिनार किया जा रहा है। उनके विभाग में अनावश्यक दखलअंदाजी की जा रही है। सिंहदेव ने उनके विभाग में की जा रही कई तरह की दखलअंदाजी और प्रोटोकॉल के उल्लंघन के बिंदुओं को गिनाया है। हालांकि अभी भी वे स्वास्थ्य विभाग समेत जिम्मेदारी वाले अन्य विभागों के मंत्री अभी भी बने हुए हैं।

कई मंत्री और विधायक ने बताया अनुशासनहीनता

अमर उजाला को मिली जानकारी के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के इस्तीफे वाली चिट्ठी से कांग्रेस के कई विधायक नाराज हैं। रविवार को मुख्यमंत्री निवास में हुई विधायक दल की बैठक में 14 मंत्रियों-विधायकों ने सिंह देव के पत्र में लगाए गए आरोपों पर आपत्ति जताई। पत्र को अनुशासनहीनता बताया। सिंह देव के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाले एक पत्र पर भी अधिकांश विधायकों के हस्ताक्षर लिए गए हैं। इसे लेकर प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया दिल्ली जाएंगे।

इस बैठक में नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव डहरिया ने टीएस सिंह देव के इस्तीफे का मामला उठा दिया। डहरिया ने कहा, यह सरकार को अपमानित करने वाली स्थिति है। सरकार अच्छा काम कर रही है। इसके बावजूद ऐसा लिखा जा रहा है, यह बेहद आपत्तिजनक है। राजिम विधायक अमितेश शुक्ला ने कहा, उनके बाप-दादा के जमाने में भी कभी ऐसा नहीं हुआ। यह ठीक नहीं हो रहा है। भिलाई विधायक देवेंद्र यादव ने यहां तक कह दिया कि यह सरासर अनुशासनहीनता का मामला है। ऐसा पत्र लिखने वाले के खिलाफ अभी और यहीं कार्यवाही होनी चाहिए।

खाद्य एवं संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने कहा, हमारे आदिवासी विधायक बृहस्पत सिंह ने इनके लिए कुछ बोल दिया था तो सदन में माफी मांगनी पड़ी। ये बोल रहे हैं तो कुछ नहीं! विधायक डॉ. विनय जायसवाल, विनोद चंद्राकर, चंद्रदेव राय, द्वारिकाधीश यादव, कुलदीप जुनेजा, शिशुपाल शोरी, रेखचंद जैन, कुंवर सिंह निषाद और आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने भी अनुशासनहीनता पर कार्यवाही की मांग वाली ऐसी ही बातें कहीं।

हमेशा चर्चा में बने रहते है सिंहदेव

छत्तीसगढ़ में सीएम भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के बीच तनातनी किसी ये छिपी हुई नहीं है। सरगुजा जिले के अंबिकापुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक टीएस सिंह देव छत्तीसगढ़ कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में शुमार हैं। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के गठन के समय सीएम पद के ढाई-ढाई वर्ष के बंटवारे की चर्चा के दौरान सिंह देव का नाम काफी चर्चा में रहा था। इसके बाद से ही सिंहदेव लगातार छत्तीसगढ़ कांग्रेस में चर्चा का केंद्र बिंदु रहे हैं।

पिछले साल बीच में विधानसभा सत्र छोड़ दिया था

2021 में विधानसभा के मानसून सत्र से ठीक पहले कांग्रेस सरकार में बवंडर उठा था। रामानुजगंज से विधायक बृहस्पत सिंह ने प्रेस वार्ता कर आरोप लगाया कि सिंह देव उन्हें मारना चाहते हैं। उनके साथ 18 विधायक और भी थे। अगले दिन सत्र शुरू हुआ और विधानसभा में बवाल हो गया। आहत सिंह देव ने सरकार की ओर से सफाई आने तक सदन में आने से इनकार कर दिया। बाद में बृहस्पत सिंह ने अपने बयानों के लिए सदन में माफी मांगी। गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने सरकार की ओर से बयान दिया कि सिंह देव पर लगाए गए आरोप निराधार हैं। उसके बाद सिंहदेव विधानसभा की कार्यवाही में शामिल होने वापस लौटे।

पूर्व सीएम रमन सिंह ने ली चुटकी  

सिंहदेव के इस्तीफे के बाद छत्तीसगढ़ भाजपा ने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है। इसकी वजह यह बताई जा रही है कि वह अभी राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर चुप्पी साधे बैठी हुई है और विधायकों को साधने में जुटी है। छत्तीसगढ़ विधानसभा की कुल 90 सीटों में से 73 सीट कांग्रेस के पास और 14 सीटें भाजपा के पास हैं। हालांकि छत्तीसगढ़ के सियासी घटनाक्रम पर पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने तंज कसते हुए कहा, टीएस सिंह देव जी के इस्तीफे से यह बात साफ हो गई है कि मुख्यमंत्री और मंत्रियों के बीच भारी मतभेद हैं। भूपेश सरकार में मंत्रियों के पास कोई अधिकार नहीं है, अभी तो एक ने इस्तीफा दिया है, सब मंत्रियों-विधायकों के मन में भी भारी आक्रोश है, देखना बड़ा विस्फोट होगा।

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छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार में एक बार फिर उठापटक का दौर शुरू हो गया है। प्रदेश की भूपेश बघेल की सरकार में कद्दावर मंत्री टीएस सिंह देव ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री के पद से इस्तीफे दे दिया है। हालांकि देव के इस इस्तीफे के बाद राज्य सियासत में शांति नजर आ रही है। एक तरफ जहां कांग्रेस और मुख्यमंत्री टीएस सिंह देव से चर्चा करने का आश्वासन दे रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ भाजपा फिल्हाल वेट एंड वॉच की स्थिति में है। हालांकि इस बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि मैंने उनसे (सिंहदेव) बात नहीं की है। मैंने उन्हें बीती रात फोन करने की कोशिश की थी, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया।

प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार में 17 दिसंबर 2018 को मंत्री पद का कार्यभार संभालने वाले टीएस सिंहदेव के पास पंचायत और ग्रामीण विकास के साथ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, बीस सूत्री कार्यान्वयन और वाणिज्य कर (जीएसटी) की भी जिम्मेदारी है। लेकिन सिंह देव ने इनमें से शनिवार शाम को अचानक पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। अपने चार पन्ने के इस्तीफे में सिंहदेव ने उन्हें सरकार में दरकिनार किए जाने पर नाराजगी जताई थी। उन्होंने अपने इस्तीफे में इस बात के संकेत दिए हैं कि सरकार में उन्हें दरकिनार किया जा रहा है। उनके विभाग में अनावश्यक दखलअंदाजी की जा रही है। सिंहदेव ने उनके विभाग में की जा रही कई तरह की दखलअंदाजी और प्रोटोकॉल के उल्लंघन के बिंदुओं को गिनाया है। हालांकि अभी भी वे स्वास्थ्य विभाग समेत जिम्मेदारी वाले अन्य विभागों के मंत्री अभी भी बने हुए हैं।

कई मंत्री और विधायक ने बताया अनुशासनहीनता

अमर उजाला को मिली जानकारी के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के इस्तीफे वाली चिट्ठी से कांग्रेस के कई विधायक नाराज हैं। रविवार को मुख्यमंत्री निवास में हुई विधायक दल की बैठक में 14 मंत्रियों-विधायकों ने सिंह देव के पत्र में लगाए गए आरोपों पर आपत्ति जताई। पत्र को अनुशासनहीनता बताया। सिंह देव के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाले एक पत्र पर भी अधिकांश विधायकों के हस्ताक्षर लिए गए हैं। इसे लेकर प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया दिल्ली जाएंगे।

इस बैठक में नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव डहरिया ने टीएस सिंह देव के इस्तीफे का मामला उठा दिया। डहरिया ने कहा, यह सरकार को अपमानित करने वाली स्थिति है। सरकार अच्छा काम कर रही है। इसके बावजूद ऐसा लिखा जा रहा है, यह बेहद आपत्तिजनक है। राजिम विधायक अमितेश शुक्ला ने कहा, उनके बाप-दादा के जमाने में भी कभी ऐसा नहीं हुआ। यह ठीक नहीं हो रहा है। भिलाई विधायक देवेंद्र यादव ने यहां तक कह दिया कि यह सरासर अनुशासनहीनता का मामला है। ऐसा पत्र लिखने वाले के खिलाफ अभी और यहीं कार्यवाही होनी चाहिए।

खाद्य एवं संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने कहा, हमारे आदिवासी विधायक बृहस्पत सिंह ने इनके लिए कुछ बोल दिया था तो सदन में माफी मांगनी पड़ी। ये बोल रहे हैं तो कुछ नहीं! विधायक डॉ. विनय जायसवाल, विनोद चंद्राकर, चंद्रदेव राय, द्वारिकाधीश यादव, कुलदीप जुनेजा, शिशुपाल शोरी, रेखचंद जैन, कुंवर सिंह निषाद और आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने भी अनुशासनहीनता पर कार्यवाही की मांग वाली ऐसी ही बातें कहीं।

हमेशा चर्चा में बने रहते है सिंहदेव

छत्तीसगढ़ में सीएम भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के बीच तनातनी किसी ये छिपी हुई नहीं है। सरगुजा जिले के अंबिकापुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक टीएस सिंह देव छत्तीसगढ़ कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में शुमार हैं। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के गठन के समय सीएम पद के ढाई-ढाई वर्ष के बंटवारे की चर्चा के दौरान सिंह देव का नाम काफी चर्चा में रहा था। इसके बाद से ही सिंहदेव लगातार छत्तीसगढ़ कांग्रेस में चर्चा का केंद्र बिंदु रहे हैं।

पिछले साल बीच में विधानसभा सत्र छोड़ दिया था

2021 में विधानसभा के मानसून सत्र से ठीक पहले कांग्रेस सरकार में बवंडर उठा था। रामानुजगंज से विधायक बृहस्पत सिंह ने प्रेस वार्ता कर आरोप लगाया कि सिंह देव उन्हें मारना चाहते हैं। उनके साथ 18 विधायक और भी थे। अगले दिन सत्र शुरू हुआ और विधानसभा में बवाल हो गया। आहत सिंह देव ने सरकार की ओर से सफाई आने तक सदन में आने से इनकार कर दिया। बाद में बृहस्पत सिंह ने अपने बयानों के लिए सदन में माफी मांगी। गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने सरकार की ओर से बयान दिया कि सिंह देव पर लगाए गए आरोप निराधार हैं। उसके बाद सिंहदेव विधानसभा की कार्यवाही में शामिल होने वापस लौटे।

पूर्व सीएम रमन सिंह ने ली चुटकी  

सिंहदेव के इस्तीफे के बाद छत्तीसगढ़ भाजपा ने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है। इसकी वजह यह बताई जा रही है कि वह अभी राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर चुप्पी साधे बैठी हुई है और विधायकों को साधने में जुटी है। छत्तीसगढ़ विधानसभा की कुल 90 सीटों में से 73 सीट कांग्रेस के पास और 14 सीटें भाजपा के पास हैं। हालांकि छत्तीसगढ़ के सियासी घटनाक्रम पर पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने तंज कसते हुए कहा, टीएस सिंह देव जी के इस्तीफे से यह बात साफ हो गई है कि मुख्यमंत्री और मंत्रियों के बीच भारी मतभेद हैं। भूपेश सरकार में मंत्रियों के पास कोई अधिकार नहीं है, अभी तो एक ने इस्तीफा दिया है, सब मंत्रियों-विधायकों के मन में भी भारी आक्रोश है, देखना बड़ा विस्फोट होगा।

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